क्योंकि है कृष्ण यह मन बड़ा ही चंचल है।
भेजा फ्रैं के बारे में बहुत सुना हैं । वह एक खाने के चीज हैं यह तो बाद में पता चला। पर वह शब्द बहुत ही दमदार लगा क्योंकि इंसान की दिमागी हालत इस से बेहतर जाहिर नहीं हो सकता।
ऐसा कहते हैं कि "मन की जीत हि जीत हैं और मन की हार हार।" याने की सब कुछ मन का ही किया कराया हैं। तो जब यह मन ही काबू में नहीं रहता तब इंसान भला क्या करे? बड़े सयाने कहते है की यह सारा जग केवल मोहमाया हैं। ठीक हैं, पर मन को यह बात कैसे समझाए? सपने और इच्छाओं से इतना भरा रहता की दो मिनिट शांत होकर, फुरसत से काम की बात सोचने का मौका ही नही मिलता।
और जब असलियत से दूर भाग सपनों में खोए दिन बीत जाते हैं तब भी इसे चैन नहीं मिलता। यह क्या बात हुई ? कहते हैं की मोहमाया इतनी सटीक चीज हैं इंसान चाहकर भी बहुत कुछ नही कर सकते। जो वैराग्य गीता में कही गई हैं वह हासिल करने में उम्र कट जाती हैं। तो ज्यादातर जिंदगी एक बहुत ही मुश्किल खेल हैं।
ऐसा नहीं की यह सब बातें नई हैं । बिलकुल भी नही। पर हर एक को समझ अलग अलग वक्त मैं होता हैं। मुझे अब समझ में आई हैं। पर इसका क्या करें कुछ पता नहीं हैं।
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